Long Time, No See
फिर उन्ही राहोँ में खो जाने दो
फिर उसी दौर में लौट जाने दो
ऐ वक़्त, आ मुझे थाम ले
फिर वोह तस्वीर अखियों में भर दे
तन्हाई में आँखें कर लूँ बंद
और यादें बन जाए कविता के चंद
पिछली ज़िन्दगी दिल के करीब से गुज़रे
उन गलियों के दामन में मेरा आज बिसरे
खिड़कियाँ बंद, फिर भी वोह ठंडी हवा चलती है
ठण्ड में ठिठुरती हूँ और वोह गरम कॉफ़ी की हाथ पकडाती है
बर्फ भरी वादियाँ दिख जाए मुझे
कॉफ़ी का स्वाद दे जाए ज़िन्दगी मुझे
फिर मन करता है के वोह मंजिल तै करूँ
फिर दिल चाहे उस वक़्त में लौटूं
क्या वक़्त दे पाएगा मुझे इतना सहारा
के रोह सकूँ में अपने नैनों की धारा
कहते है वक़्त मरहम है, दावा है, दुआ है
हर टूटे दिल, हर बहते आंसूं का किनारा है
वक्त ही तोह मांगे ये दिल
बस, वोह आज नहीं, आज ही तोह नहीं!!
A tad bit home sick guyz :)
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